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प्यार की बात

*प्यार की बात*
प्यार की बात 
है सभी को हमें यह बताना,
मिल गया आज मेरा दीवाना।
प्यार अपना है सदियों पुराना-
इस राज को हाय! हमने न जाना ।।
     हर जनम हम मिले, प्यार करते रहे,
     प्राण-सर में कमल-पुष्प खिलते रहे।
     गुजरीं सदियाँ न जाने हैं कितनी मग़र-
     प्यार का लगता नूतन फ़साना।।
                                  हाय!हमने.......।।
नदी-पेड़-पर्वत-गगन-सब सितारे,
ज़मीं-चाँद-सूरज सभी यूँ पुकारें।
कहें प्यार मेरा सदा ही रहा है-
अद्भुत-अनूठा मिसाले  ज़माना।।
                   हाय!हमने.......।।
है प्यार अमृत इसे जो पिया,
हो गया वो अमर देवता की तरह।
देवता को भले दुनिया पूजे यहाँ-
प्यार ईश्वर का अनुपम ठिकाना।।
                  हाय!हमने.........।।
प्यार गीतों में,ग़ज़लों में,मंत्रों में है,
धार सरिता की,कविता के छंदों में है।
चंद्र-सागर-मिलन पूर्णिमा-रात्रि को-
होता अनुपम-सुखद औ सुहाना।।
                  हाय!हमने........।।
भाव से ही भरा भक्त-भगवान का,
जो है दुनिया मे बस वही प्यार है।
हृदय दे दिया,लुट गया,मर मिटा-
प्यार चाहे अहम को मिटाना।।
                हाय!हमने.........।।
राजे उल्फ़त यही जान लो अब सभी,
छल-कपट-बेवफाई नहीं प्यार में।
प्यार चाहे समर्पण अहम-स्वत्व का-
बस,इसी सत्य को था जताना।।
इस राज को हाय!हमने न जाना।।
              © डॉ. हरि नाथ मिश्र
                9919446372

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2 Comments

RISHITA

01-Nov-2023 05:00 PM

V nice

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Mohammed urooj khan

01-Nov-2023 12:54 PM

👍👍👍👍

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